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डिजिटल साक्षरता से नूंह की किशोरियों के सपनों को मिली उड़ान

ट्रांसफार्म लाइव्स के तहत संचालित डिजिटल साक्षरता एवं जीवन कौशल कार्यक्रम से हरियाणा के नूंह जिले के गांवों की लड़कियां सपनों की उड़ान भर रही हैं. सहगल फाउंडेशन द्वारा संचालित यह कार्यक्रम किशोर जीवन के सपनों को पंख दे रहा है. कंप्यूटर और इंटरनेट आज के युग में अत्यधिक महत्त्व रखते हैं | यह दुनिया के किसी भी जगह से पूरे विश्व भर की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त करने में हमारी मदद करते है | कोरोना महामारी के समय में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई में इंटरनेट का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है| अगर ग्रामीण इलाकों की बात की जाए – चाहे खेती से जुड़ी जानकारी प्राप्त करनी हो या फिर सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी इंटरनेट का उपयोग हर स्तर पर हो रहा है |
भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की आबादी बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। 2019 में 45 करोड़ मासिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ भारत अब चीन के बाद दूसरे स्थान पर आ चुका है (मंडविया, 2019) परंतु अभी भी भारत के लगभग 70 प्रतिशत ग्रामीण लोगों के पास इंटरनेट उपयोग की जानकारी और सुविधा का अभाव है। ग्रामीण समुदायों को डिजिटल साक्षर बनाने का प्रयास सरकार व ग़ैर सरकारी संस्थाएँ बहुत तेजी से कर रही है | सरकार द्वारा 2016 से डिजिटल साक्षरता अभियान भी लागू किया था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इन माध्यमों का इस्तेमाल करना सीख सके और ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसके उपयोग में वृद्धि हो सके |

भारत के 2 तिहाई  इंटरनेट उपयोगकर्ता 12 से 21 वर्ष के आयु वर्ग में आते है, जो युवा आबादी की इस क्षेत्र में बढ़ती रुचि दर्शाता है (मंडविया, 2019)। परंतु इनमें से ग्रामीण युवा और युवती की संख्या अभी भी बहुत कम है। इस आयु वर्ग के लोगों के लिए इंटरनेट तथा कम्प्यूटर बहुत महत्त्वपूर्ण माध्यम है, जो ना सिर्फ़ पढ़ाई बल्कि बेहतर नौकरी मिलने की सम्भावना भी बढ़ाते है। इन तकनीकी साधनों के असीम फ़ायदे हैं जो बच्चों के बेहतर भविष्य में मदद करते है और ग्रामीण जीवन के संघर्षों से झूझना आसान बनाते है। भारत की युवा आबादी को इतना डिजिटल साक्षर बनाने का प्रयास करना है कि वह डिजिटल उपकरणों जैसे मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर आदि पर किसी सूचना के लिए इंटरनेट पर खोज सके और ईमेल भेजने और प्राप्त करने में सक्षम हो सके| डिजिटल शिक्षा अब हमारे जीवन का एक अंग बन चुकी है, और इसको सीखने का प्रयास और प्रचार विद्यालय भी कर रहे है। इसी के साथ यह भी ज़रूरी है कि स्कूलों के पास कंप्यूटर और इंटरनेट की उपलब्धता भी हो |
2018 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत के 619 जिलों के 596 सरकारी स्कूलों में केवल 21.3 प्रतिशत छात्रों  के पास अपने स्कूलों में कंप्यूटर की पहुंच थी (ऐसर, 2018)। इसी अभाव को कम करने के लिए सहगल फाउंडेशन हरियाणा के ग्रामीण जिलों में डिजिटल और जीवन कौशल जागरूकता बढ़ाने के प्रयास में जुटी हुई है। सहगल फाउंडेशन ने अपने “ट्रांसफॉर्म लाइव्स ” प्रोग्राम के तहत नूंह ज़िले में बच्चों को डिजिटल और जीवन कौशल शिक्षा पर जागरूक बनाने की पहल कर रही  है। ट्रांसफॉर्म लाइव्स कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण भारत के स्कूलों में सकारात्मक परिवर्तन करना है ताकि स्कूली बच्चों को पढ़ाई के लिए बेहतर व सुरक्षित माहौल मिल सके । इसके अंतर्गत संस्था ने नूंह जिले के गांवों में डिजिटल और जीवन कौशल जागरूकता का प्ररिक्षण प्रारंभ किया ताकि गाँव के किशोर इस सत्र का प्ररिक्षण ले सके।
जिला नूंह के खंड नगीना के गाँव जातका सिस्वना में भी डिजिटल साक्षरता की ट्रेनिंग 59 बच्चों को दी गई। इस गाँव के सरकारी स्कूल में कम्प्यूटर व इन्टरनेट जैसी कोई सुविधा पहले नहीं थी। ट्रेनिंग में बच्चों को इन साधनों के लाभों की जानकारी दी गई और उनका प्रयोग करना सिखाया गया। कम्प्यूटर चलना, ईमेल लिखना, इंटरनेट का उपयोग और दुरुपयोग भी समझाया गया। इस ट्रेनिंग में हिस्सा लेने वाले 2 छात्रों ने इस प्रयास को सराहा। सोहेल ने बताया कि “ट्रेनिंग से उसने कंप्यूटर की बेसिक शिक्षा और टेली का ज्ञान सीखा। उसका मानना है कि कम्प्यूटर भविष्य को उज्ज्वल करता है।“
रजीश ने बताया कि “कम्प्यूटर के बिना आज का युग अधूरा है और हर क्षेत्र में आगे बढ़ने में कंप्यूटर की जानकरी  मदद करता है। रजीश ने ट्रेनिंग के माध्यम से टाइपिंग, गेम चलाना और कम्प्यूटर में डेटा सेव करना सीखा जिसे वह बाद में भी पढ़ सकता है।“
सुमन लता बताया कि बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाशा कर रही थी जब उन्होंने सहगल फाउंडेशन द्वारा डिजिटल और जीवन कौशल जागरूकता पर तीन महीने का डिप्लोमा कोर्स किया और मांडीखेड़ा अस्पताल में नौकरी प्राप्त की। ट्रेनिंग की सीख से उन्हें हिम्मत और साहस मिला और उन्होंने  मस्टर डिग्री प्राप्त की और आज प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है और अपनी क्षमताओं के बल पर अपना भविष्य सुरक्षित बना सकी।“
स्कूल में बच्चों को इन उपकरणों की शिक्षा देनी चाहिए, और डिजिटल साक्षरता की ओर बढ़ाना चाहिए। अगर हम एक डिजिटल साक्षर भारत चाहते है तो हमें विद्यालयों और शिक्षकों को उचित रूप से इंटरनेट संसाधनों के साथ तैयार करना बहुत ज़रूरी है।
(जुनैद खान, सहगल फाउंडेशन)
सहगल फाउंडेशन भारत में 1999 से पंजीकृत गैर सरकारी संस्था है.

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