World press freedom day: कोरोना से बचाव में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं कम्युनिटी रेडियो, जागरूकता फैलाने में हैं अव्वल
सामुदायिक मीडिया पर यूनेस्को के अधिकारी विनोद पवराला कहते हैं कि सीआर स्टेशनों की भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, (अनुराग मिश्र)। कोरोना से बचाव के लिए डॉक्टर, मेडिकल प्रोफेशनल्स और वैज्ञानिक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। सभी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि कोरोना को मात देने का सबसे प्रमुख हथियार है बचाव। और यह तभी संभव है, जब लोग सोशल डिस्टैंसिंग और पीपीई का पालन सही तरीके से करें। इसके अलावा, इस दौर में कोरोना के बारे में लोगों को सही जानकारी देना भी उतना ही जरूरी है। कम्युनिटी रेडियो ये सभी काम बखूबी कर रहा है। वह जरूरतमंदों को राशन से लेकर अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं कि नहीं, इन चीजों की भी जानकारी दे रहा है।
हैदराबाद विश्वविद्यालय स्थित संचार विभाग (UNESCO सभापीठ जन-संचार माध्यम) के प्रोफेसर विनोद पवराला कहते हैं कि सीआर स्टेशनों की भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आबादी का जो कमजोर तबका है, उसे कोरोना वायरस से बचाव के संबंध में विश्वसनीय सूचना चाहिए, वह भी स्थानीय भाषा में। इस काम को कई कम्युनिटी रेडियो बड़ी जिम्मेदारी से निभा रहे हैं। ये रेडियो उस जगह की वास्तविक स्थिति से वाकिफ होते हैं, इसीलिए उनकी जानकारी वहां की आवाज और जरूरतों के अनुरूप होती है।
पवराला कहते हैं कि गुड़गांव में 'गुड़गांव की आवाज' कम्युनिटी रेडियो है, जो वंचित वर्गों की आवाज बना हुआ है। वह टैक्सी ड्राइवर, सिक्योरिटी गार्ड और क्लीनिंग वर्कर्स की आवाज है। वह लोगों तक राशन पहुंचाने का भी काम कर रहा है। इसके अलावा, शिमला में कम्युनिटी रेडियो हिमाचल हरिजन कल्याण संस्था के प्रबंधक सुरेन्द्र सिंह बनोल्टा ने कहा कि हम सरकार द्वारा दी गई जानकारी को लोगों तक पहुंचा रहे हैं। हम लोगों को हिंदी और स्थानीय पहाड़ी भाषा में सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं। ऐसे वक्त में जब फेक सूचनाएं बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच रही हैं, उस श्रृंखला को तोड़ना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसा सिर्फ वायरस के संबंध में नहीं, बल्कि फर्जी सूचनाओं के बारे में भी है। हम अपने रेडियो में ब्रेक द फेक न्यूज चेन प्रोग्राम चलाते हैं, साथ ही हवन नामक प्रोग्राम भी चलाते हैं, जो कि पर्यावरण के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाता है।
इसके अलावा, उड़ीसा का एक कम्युनिटी रेडियो, रेडियो ढिम्सा बेहतरीन काम कर रहे हैं। वो रिमोट गांवों तक सीधे पहुंच रहे हैं। वो लोगों के पास जाकर जागरूकता फैला रहे हैं। हिमाचल का रेडियो रेडियो गुंजन लोगों तक स्थानीय और हिंदी दोनों में जानकारी पहुंचा रहा है। मेवात में चलने वाला कम्युनिटी रेडियो 21 दिन 21 बात, सावधान जैसे रेडियो शो चला रहा है, जो लोगों के लिए काफी उपयोगी है।
रेडियो चितकारा 107.8 फ्रीक्वेंसी पर चलने वाला कम्युनिटी रेडियो है, जो 24 घंटे कोरोना पर ब्रॉडकास्ट करता है। डॉ. आशुतोष मिश्रा ने बताया कि रेडियो चितकारा एकमात्र ऐसा रेडियो चैनल है, जो 28 मार्च से 24 घंटे लगातार कोरोना से जुड़े प्रोग्राम ब्रॉडकास्ट कर रहा है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात और उनके द्वारा दिए जाने वाले हर निर्देश, पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा दी गई गाइडलाइंस, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्देश होते हैं। इसके साथ ही यह केंद्र और राज्य सरकार के एक्शन प्लान को प्रोग्राम के जरिए लोगों तक पहुंचा रहा है। इसके प्रोग्रामिंग हेड पंकज गर्ग ने बताया कि खास तरह के सॉफ्टवेयर में रेडियो प्रोग्राम को इंस्टाल कर ब्रॉडकास्ट किया जाता है। सभी प्रोग्राम्स वाट्सएप और फेसबुक से भी शेयर किए जा रहे हैं। हम अपने रेडियो स्टेशन पर विन मीडिया सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हैं। इसके बाद घर से मोबाइल के जरिए ब्रॉडकॉस्ट करते हैं। इसमें सरपंच, डॉक्टर, डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर आदि के संदेश भी प्रसारित होते हैं। इसमें मौजूदा समय में समाज की सबसे बड़ी जरूरतों को प्रसारित और प्रचारित किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर को टीम अपने घर के सिस्टम पर ही एक्सेस कर रही है। प्रोग्राम को डॉ. आशुतोष मिश्रा चंडीगढ़ से तो प्रोग्रामिंग हेड पंकज गर्ग कुरुक्षेत्र से, एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर्स रंजीत सिंह और रूपिंदर कौर पटियाला से अपना काम कर रहे हैं और घर से ब्रॉडकास्ट कर रहे हैं।
पं. गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि स्थित सामुदायिक रेडियो जनवाणी केंद्र से उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के करीब 50 गांव व उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर व नैनीताल के करीब सौ गांव के कुछ युवा जुड़े हैं, जिन्हें केंद्र में ट्रांजिस्टर व मोबाइल पर खेतीबाड़ी से जुड़ी जानकारी प्रसारित करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। पं. गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के एग्रीकल्चर डीन डॉ शिवेंद्र कुमार कश्यप बताते हैं कि पास के ही गांव में एक कार्यकर्ता ने लोगों को बताया कि एक व्यक्ति को शहर से सामान लाने के लिए तय कर दिया, ताकि हर व्यक्ति शहर न जाए, शहर के लोगों को गांव में निषिद्ध किया जाए। इसके अलावा, यदि कोई समस्या होती है तो युवा बता देते हैं, जिसे केंद्र प्रशासन को अवगत करा देता है। उन्होंने बताया कि कॉल-इन के माध्यम से किसानों को इस बात की सुविधा दी कि लोग कॉल कर अपनी खेती से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सकें। साथ ही किसानों को संबंधित वैज्ञानिकों से बात करा उनकी दिक्कतों का हल तलाश रहे हैं।
कश्यप ने बताया कि केंद्र, राज्य सरकार व प्रशासन कोरोना से बचाव संबंधित जो भी एडवाइजरी करता है, उसे भी प्रसारित किया जाता है। लोगों को लॉकडाउन का पालन करने को भी सचेत किया जाता है। जिलाधिकारी नीरज खैरवाल ने हमसे एक प्रस्ताव बनवाया, ताकि जूनियर कक्षाओं के बच्चों को सामुदायिक रेडियो के माध्यम से पढ़वाया जा सकें। फिलहाल अभी इस पर काम चल रहा है।
सामुदायिक मीडिया पर यूनेस्को के अधिकारी विनोद पवराला कहते हैं कि मौजूदा समय में कम्युनिटी रेडियो को फंडिंग सपोर्ट की जरूरत है, जिससे लोगों तक वह और बेहतर तरीके से पहुंच सके। उन्हें सरकारी एजेंसियों से कुछ विज्ञापन मिलने की आवश्यकता है। उन्हें आकस्मिक फंडिंग से राहत दिए जाने की जरूरत है।